शहर से दूर, एक वीरान इलाके में खड़ा था ‘सन्नाटे का महल’। लोग इसे श्रापित मानते थे। यह हवेलीनुमा घर कई दशकों से खंडहर बन चुका था। कहते हैं, यहां के आखिरी मालिक ने इसी घर में अपनी जान दे दी थी। तब से, इस घर को लेकर डरावनी कहानियां सुनाई जाती थीं। कुछ ने यहां चीखें सुनी थीं, तो कुछ ने रहस्यमय सायों को देखा था।
नील, एक महत्वाकांक्षी लेखक, इस घर के बारे में जानने का साहस कर चुका था। रहस्यमयी कहानियों पर आधारित अपनी नई किताब के लिए वह इस घर की छानबीन करना चाहता था। वह यकीन करना चाहता था कि ये महज गढ़ी हुई बातें हैं, और अगर सचमुच कुछ है, तो उसे जानने का अवसर नील खोना नहीं चाहता था।
एक गर्म, उमस भरी रात को नील ने अपनी नोटबुक, टॉर्च और कैमरा लेकर इस घर का रुख किया। हवेली के पास पहुँचते ही उसे ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ। गेट पर जंग लगा ताला झूल रहा था, लेकिन हल्की-सी धक्का देते ही दरवाजा चरमराते हुए खुल गया। अजीब-सी सिहरन उसकी रीढ़ से गुजर गई, लेकिन उसने खुद को संभाला।
हॉल में कदम रखते ही चारों तरफ धूल और मकड़ी के जालों ने उसका स्वागत किया। दीवारों पर लगे फटे पोस्टर और जले हुए फर्नीचर ने वहां कभी हुए जीवन की गवाही दी। नील ने टॉर्च जलाते हुए इधर-उधर देखा। "यहां डरने जैसा कुछ नहीं है," उसने खुद से कहा।
पहले कमरे में एक पुरानी झूला-कुर्सी रखी थी। वह धीरे-धीरे झूल रही थी, मानो किसी ने अभी-अभी उसे धक्का दिया हो। नील ने इसे हवा का असर मानकर नज़रअंदाज किया। वह दूसरे कमरे की ओर बढ़ा।
नील के माथे पर पसीना छलकने लगा। लेकिन वह डर को खुद पर हावी नहीं होने देना चाहता था। उसने उन कागज़ों को कैमरे में कैद किया और आगे बढ़ा। तभी पीछे से एक धीमी, भयानक आवाज़ आई, "नील..."
नील का नाम सुनकर उसकी साँसें थम गईं। उसने पलटकर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था। उसकी दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं। क्या यह सच था? या उसका दिमाग उसे छल रहा था?
नील ने खुद को संभालते हुए मुख्य दरवाजे की ओर बढ़ने का फैसला किया। लेकिन जैसे ही उसने दरवाजे की कुंडी पकड़ने की कोशिश की, दरवाजा ज़ोर से बंद हो गया। हवेली में अंधेरा छा गया। उसकी टॉर्च भी काम करना बंद कर चुकी थी। अब नील सच में घबरा गया था।
अचानक, ऊपर की मंज़िल से किसी के भारी कदमों की आवाज़ आई। वह आवाज़ धीरे-धीरे सीढ़ियों से नीचे आ रही थी। नील ने छिपने के लिए एक कोने का सहारा लिया। टॉर्च की हल्की रोशनी में उसे एक लंबा, डरावना साया दिखाई दिया। वह हवा में तैर रहा था।
साया ठहरकर बोला, "तुमने चेतावनी को अनसुना किया। अब खौफ का पहरा तुम्हारे साथ रहेगा।"
नील की चीख निकल गई। उसकी आँखें बंद हो गईं। जब उसने होश संभाला, तो वह अपने होटल के कमरे में था।
नील का चेहरा पीला पड़ गया। वह समझ चुका था कि कुछ रहस्य सुलझाने के लिए नहीं, बल्कि उनसे दूर रहने के लिए होते हैं। उसने कभी उस जगह पर लौटने की कोशिश नहीं की। लेकिन उस रात की सिहरन हमेशा उसकी कहानियों में ज़िंदा रही।
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