अमृता एक सामान्य लड़की थी, लेकिन उसकी रातें असामान्य थीं। हर रात उसे सपने आते थे, और ये सपने असामान्य रूप से जीवंत और डरावने होते थे। सपनों में जो कुछ भी होता, वह उसे असली जैसा महसूस होता।
एक रात, उसने एक ऐसा सपना देखा जिसने उसकी ज़िंदगी को पूरी तरह से बदल दिया। सपने में वह एक अंधेरी गली में भाग रही थी, पीछा कर रहा था एक आदमी जिसकी आँखें लाल थीं और चेहरा नकाब में छिपा हुआ था। अचानक, वह आदमी उसके करीब आया और धीरे से फुसफुसाया, "तुम्हारी ज़िंदगी के सारे राज़ मेरे हैं।"
अमृता हड़बड़ाकर जाग गई। उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। यह कोई साधारण सपना नहीं था; उसने पहली बार ऐसा महसूस किया जैसे कोई उसकी असली ज़िंदगी में ताक-झांक कर रहा हो।
कुछ दिनों बाद, उसने नोटिस किया कि उसके सपनों की घटनाएँ असल ज़िंदगी में दोहराई जा रही हैं। एक दिन उसने सपने में देखा कि उसके पड़ोसी के घर में आग लग गई। सुबह खबर आई कि वास्तव में उनके घर में आग लगी थी। अब अमृता घबरा गई थी।
उसने अपने दोस्त अरुण से इस बारे में बात की। अरुण मनोविज्ञान का छात्र था। उसने इसे "अति-संवेदनशील मस्तिष्क" का परिणाम बताया और अमृता को समझाया कि यह सब उसका दिमाग ही खेल रहा है। लेकिन अमृता को यह महज़ कल्पना नहीं लग रहा था।
एक रात, अमृता ने सपने में एक लाल रंग की डायरी देखी, जिसमें उसके जीवन की हर छोटी-बड़ी घटना लिखी थी। सपने में डायरी का लेखक वही नकाबपोश आदमी था। अगले दिन, उसने अपनी अलमारी में वैसी ही एक लाल डायरी पाई।
डायरी में जो लिखा था, वह चौंकाने वाला था। उसमें सिर्फ उसकी ज़िंदगी नहीं, बल्कि उन घटनाओं का ज़िक्र था जो आने वाले दिनों में होने वाली थीं। उदाहरण के लिए, अगले पन्ने पर लिखा था: "11 दिसंबर को तुम्हारी नौकरी चली जाएगी।"
अमृता ने इसे हल्के में नहीं लिया। 11 दिसंबर आया, और उसने बिना किसी गलती के अपनी नौकरी खो दी।
अमृता ने यह जानने की ठान ली कि वह नकाबपोश आदमी कौन है। उसने डायरी के पन्नों को खंगाला, जहाँ आखिरी पन्ने पर लिखा था: "तुम्हारे सवालों के जवाब तुम्हारी नींद के भीतर हैं।"
अगले सपने में उसने खुद को उसी गली में पाया, जहाँ से सब शुरू हुआ था। नकाबपोश आदमी सामने आया। अमृता ने उससे चीखकर पूछा, "तुम कौन हो?"
उसने नकाब हटाया। सामने अमृता खुद खड़ी थी।
"मैं तुम्हारा ही हिस्सा हूँ, जो हर उस सच्चाई को जानता है, जिसे तुमने दबा रखा है। तुम्हारे सपने तुम्हारे अपने डर और सच का मिश्रण हैं। अब सोच लो, क्या तुम इस सफर को जारी रखना चाहोगी?"
अमृता की चीखों के साथ सपना टूट गया।
उस दिन के बाद, अमृता ने सपनों को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया। उसे समझ आ गया था कि सपने धोखा नहीं, बल्कि चेतावनी हैं। हर सपना उसे उसकी ज़िंदगी का एक अनजाना हिस्सा दिखा रहा था।
क्या ये चेतावनियाँ उसे बचाएँगी, या फिर यह केवल एक शुरुआत है? यह सवाल आज भी अनुत्तरित है।
Image Credit: Chat GPT
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