आरव, एक स्वतंत्र लेखक, अपनी नई किताब पर काम कर रहा था। लेकिन पिछले कुछ हफ्तों से, उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कोई उसे देख रहा है। घर के बाहर खड़ी काली कार, पड़ोस की खिड़की में झांकती परछाई, और हर रात दरवाज़े के पास अजीब-सी आवाज़ें। ये सब उसकी सोच पर काबू पा रहे थे।
एक रात, जब आरव अपनी किताब पर काम कर रहा था, उसने महसूस किया कि घर के बाहर कोई खड़ा है। उसने धीरे से खिड़की का पर्दा हटाया और देखा कि वही काली कार अभी भी वहीं थी। अंदर बैठा व्यक्ति उसकी ओर देख रहा था। आरव का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
"क्या यह मेरा वहम है, या सच में कोई मेरे पीछे है?" उसने खुद से पूछा।
लेकिन आरव का शक यहीं खत्म नहीं हुआ।
आरव ने अपनी बालकनी में एक छोटा कैमरा फिट किया, ताकि वह यह देख सके कि रात को घर के बाहर क्या होता है। अगली सुबह जब उसने कैमरे की फुटेज देखी, तो उसकी रूह कांप गई। रात के तीन बजे, एक साया उसके दरवाजे तक आया और कुछ लिखकर छोड़ गया।
यह पढ़कर आरव को अपने अतीत की यादें ताजा हो गईं। कॉलेज के दिनों में उसने अपने दोस्त रवि के साथ जो मज़ाक किया था, वह मज़ाक रवि की ज़िंदगी पर भारी पड़ा था। रवि ने डिप्रेशन में आकर आत्महत्या कर ली थी। आरव को इस बात का गहरा अफसोस था, लेकिन उसने कभी इस बात को स्वीकार नहीं किया।
अब आरव को यकीन हो गया था कि रवि का आत्मा उसे सज़ा देने आई है। वह दिन-ब-दिन मानसिक रूप से टूटने लगा। उसे हर जगह रवि की परछाई नज़र आती थी।
चिट्ठी लिखकर उसने अपने घर के बाहर उस जगह रख दी, जहां उसे साया दिखाई देता था।
आरव ने यह समझ लिया था कि वह खुद अपने गुनाह का कैदी बन चुका है। उसकी "अंधेरी सोच" उसे छोड़ने को तैयार नहीं थी। एक दिन, उसने अपनी बालकनी से छलांग लगाकर अपनी ज़िंदगी खत्म कर दी।
लेकिन क्या सच में यह उसकी सोच थी, या कोई बाहरी ताकत? इस सवाल का जवाब कभी नहीं मिल पाया।
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