रात्रि के अंधकार में जब पूरा शहर गहरी नींद में था, तभी पुलिस विभाग के सर्वर रूम में हलचल मची। कुछ महत्वपूर्ण फाइलें अचानक गायब हो गईं। मॉनिटर पर केवल एक ही संदेश चमक रहा था— "कोड 404: फाइल नॉट फाउंड।" यह कोई तकनीकी गड़बड़ी नहीं थी, बल्कि एक सोचा-समझा खेल था।
जांच शुरू होते ही विक्रांत को महसूस हुआ कि यह मामला जितना सरल दिखता था, उतना था नहीं। सर्वर रूम की फुटेज देखने पर उसे एहसास हुआ कि कोई भी अंदर गया ही नहीं था, फिर भी डेटा गायब था।
इसी बीच, शहर के अलग-अलग हिस्सों में कुछ रहस्यमयी घटनाएँ घटने लगीं। एक पत्रकार की रहस्यमयी तरीके से हत्या कर दी गई, एक सरकारी अधिकारी लापता हो गया, और हर अपराध स्थल पर एक ही कोड छोड़ा गया— "कोड 404"।
जांच करते-करते विक्रांत एक ऐसे नाम पर पहुँचा जिसे वह कभी नहीं भूल सकता था— आदित्य राठौर। आदित्य एक कुशल हैकर था और कभी पुलिस विभाग के लिए काम करता था, लेकिन एक गुप्त मिशन के दौरान उसे बलि का बकरा बना दिया गया।
एक रात विक्रांत को गुप्त सूचना मिली कि "कोड 404" का अगला निशाना वह खुद है। वह सतर्क हो गया, लेकिन तभी उसके लैपटॉप स्क्रीन पर वही संदेश चमका— "कोड 404: विक्रांत मेहरा नॉट फाउंड।"
वह जैसे ही उठने लगा, कमरे की लाइट बंद हो गई। कुछ क्षण बाद जब लाइट जली, तो उसके सामने एक छाया खड़ी थी। यह आदित्य था— जिंदा।
"तुम मरे नहीं थे?" विक्रांत के होंठों से मुश्किल से शब्द निकले।
"मरा नहीं, मार दिया गया था— कागज़ों पर। मुझे सिस्टम से मिटा दिया गया, पर अब मैं वापस आ गया हूँ। न्याय दिलाने।" आदित्य की आवाज़ में ठंडापन था।
"पर किसका न्याय?" विक्रांत ने पूछा।
"उन सबका, जिन्हें इस भ्रष्ट सिस्टम ने गायब कर दिया— जैसे कोड 404 की फाइलें। अब यह सिस्टम ही नॉट फाउंड होगा।"
अगली सुबह, पुलिस विभाग का पूरा डेटा गायब था। अधिकारियों के नाम, केस फाइलें, अपराधियों के रिकॉर्ड— सब कुछ शून्य। और विक्रांत?
कोड 404।
Image Credit: Chat GPT
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