सफ़ेद झूठ

 

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रात का सन्नाटा घना था, और हल्की बारिश की बूँदें खिड़की के कांच पर दस्तक दे रही थीं। राधिका अपनी किताबों में खोई हुई थी, लेकिन उसके मन में अजीब-सी बेचैनी थी। दिल्ली के इस पुराने मकान में वह अकेली रह रही थी, और आसपास के लोग इसे भूतिया कहते थे। पर राधिका ने इस बात को हमेशा एक "सफ़ेद झूठ" मानकर नज़रअंदाज किया। उसे अंधविश्वास पर यकीन नहीं था। लेकिन उस रात कुछ ऐसा हुआ जिसने उसकी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया।

रात के 11 बज रहे थे। राधिका ने घड़ी पर नज़र डाली और किताब बंद कर दी। उसने सोचा कि वह अब सोने चली जाए। जैसे ही वह बिस्तर पर लेटी, उसे लगा कि किसी ने दरवाज़े पर दस्तक दी है। वह चौकन्नी हो गई।

"इस वक्त कौन हो सकता है?" उसने खुद से पूछा।

दरवाज़ा खोलने पर उसे वहाँ कोई नज़र नहीं आया। लेकिन नीचे एक लिफाफा पड़ा था। लिफाफा खोलते ही उसने देखा कि उसमें एक कागज था, जिस पर लिखा था:

"सच को नज़रअंदाज करना खतरनाक होता है।"

राधिका के दिल की धड़कन तेज़ हो गई। उसने तुरंत लिफाफे को फाड़कर फेंक दिया और सोने की कोशिश की। लेकिन उसकी नींद बार-बार टूट रही थी। सुबह होते ही उसने सोचा कि यह कोई मज़ाक हो सकता है।

अगली रात फिर वही दस्तक हुई। इस बार लिफाफे में लिखा था:

"तुम्हारा अतीत तुम्हारा पीछा कर रहा है।"

अब राधिका घबरा गई। उसने अपनी बचपन की सहेली प्रिया को फोन किया और उसे सारी बात बताई। प्रिया ने उसे पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की सलाह दी, लेकिन राधिका को लगा कि पुलिस इसे गंभीरता से नहीं लेगी।

तीसरी रात, दरवाज़े पर दस्तक की जगह इस बार खिड़की पर किसी के नाखून रगड़ने की आवाज़ आई। जब राधिका ने खिड़की खोली, तो उसे बाहर एक साया खड़ा दिखा। वह चीख पड़ी और तुरंत खिड़की बंद कर दी।

सुबह होते ही उसने मकान मालिक से बात की। मकान मालिक ने बताया कि यह मकान कई सालों से वीरान पड़ा था और यहाँ पहले एक महिला रहती थी जिसने आत्महत्या कर ली थी। यह सुनकर राधिका और डर गई।

उसने मकान की छानबीन शुरू की। तहखाने में उसे एक पुरानी डायरी मिली। डायरी उसी महिला की थी। उसमें लिखा था कि उसे धोखा दिया गया था और उसे मरने के लिए मजबूर किया गया था। आखिरी पन्ने पर लिखा था:

"जो भी यहाँ रहेगा, उसे मेरी कहानी जाननी होगी।"

राधिका ने यह सोचकर डायरी को जला दिया कि शायद इससे सबकुछ खत्म हो जाएगा। लेकिन उस रात जब वह सो रही थी, तो उसे अपने कमरे में किसी के चलने की आवाज़ आई। उसने डरते हुए आँखें खोलीं और देखा कि वही महिला, सफेद साड़ी में, उसके सामने खड़ी थी।

"तुमने मेरी सच्चाई छुपाई, अब इसकी सज़ा भुगतो," महिला ने कहा।

राधिका चीखते हुए जाग गई। यह सपना था या सच, यह उसे समझ नहीं आया। लेकिन अगली सुबह मकान खाली कर वह हमेशा के लिए वहाँ से चली गई।

सफ़ेद झूठ को नज़रअंदाज करने की कीमत वह समझ चुकी थी।


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