शहर की रातें हमेशा से सन्नाटे और रहस्यों से भरी होती थीं। एक ऐसी ही रात में, जब बारिश की हल्की बूंदें खिड़की पर थपकी दे रही थीं, वकील अनुराग ने अपने फोन की घंटी बजती सुनी।
“हैलो?” उसने गहरी आवाज़ में कहा।
“सर, यह केस आपके लिए बहुत ज़रूरी है,” दूसरी तरफ से एक महिला की घबराई हुई आवाज़ आई। “मेरा नाम नेहा है। मैं जानती हूँ कि मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है, लेकिन…” उसकी आवाज़ कांप रही थी।
“नेहा, पहले शांत हो जाइए और मुझे विस्तार से बताइए,” अनुराग ने कहा।
“यह हत्या का मामला है। और… मुझे पता है कि जो मैंने देखा, वही सच्चाई है। लेकिन मुझे अपनी गवाही देने से डर लग रहा है,” नेहा ने फुसफुसाते हुए कहा।
नेहा अगले दिन अनुराग के ऑफिस आई। उसकी आंखों में थकान और डर के गहरे साए थे। उसने बताया कि वह उस रात एक पुराने कारखाने के पास से गुजर रही थी, जब उसने एक महिला को खून से लथपथ देखा। पास में खड़ा एक आदमी उसे घूर रहा था, उसकी आंखों में ऐसा क्रोध था जो रूह कंपा दे।
“और आपने पुलिस को क्यों नहीं बताया?” अनुराग ने पूछा।
“मैं डर गई थी। उसने मुझे देख लिया था। और… मुझे लगा, वह मुझे भी मार देगा।” नेहा की आवाज़ कांप रही थी।
अनुराग ने नेहा की बातों को ध्यान से सुना और फैसला किया कि इस केस को लेना होगा। नेहा की गवाही से ही सच्चाई बाहर आ सकती थी। लेकिन जैसे-जैसे अनुराग ने मामले की तहकीकात शुरू की, वह अजीब और खौफनाक घटनाओं में उलझता चला गया।
पुराने कारखाने में छिपे रहस्य से पर्दा उठाने की कोशिश में, उसे वहाँ के सुरक्षा कैमरों की फुटेज मिली। लेकिन फुटेज में जो दिखा, उसने उसे झकझोर कर रख दिया।
फुटेज में नेहा खुद खून से सनी दिखाई दी, और उसके हाथ में एक चाकू था। वह बार-बार किसी से झगड़ रही थी, लेकिन दूसरी तरफ कोई भी नहीं था।
अनुराग ने नेहा से सवाल किया, “क्या तुम मुझे कुछ छुपा रही हो?”
“नहीं! मैंने कुछ नहीं किया,” नेहा चीख पड़ी। “वह आदमी वहाँ था। मैंने उसे देखा था!”
नेहा का अतीत धीरे-धीरे सामने आया। वर्षों पहले, नेहा इसी कारखाने में काम करती थी। एक रात, उसके साथ वहाँ कुछ भयानक हुआ था—एक आदमी ने उसका पीछा किया और हमला करने की कोशिश की। वह किसी तरह बच निकली, लेकिन उसकी यादें वहीं रुक गईं।
नेहा अब अपने ही अतीत और वर्तमान के बीच उलझ गई थी। जो उसने देखा, वह सच्चाई थी या उसकी टूटी हुई यादों का प्रतिबिंब? अनुराग को समझ में आ गया कि नेहा गवाही तो देना चाहती थी, लेकिन वह खुद नहीं जानती थी कि उसकी गवाही अधूरी है।
एक दिन, नेहा का फोन अचानक बंद हो गया। अनुराग ने उसकी तलाश की, लेकिन वह कहीं नहीं मिली। कारखाने में एक बार फिर जाकर, उसने नेहा की लिखी एक चिट्ठी पाई। चिट्ठी में लिखा था:
“मैंने सच देखा था। लेकिन मुझे खुद पर यकीन नहीं रहा। अगर यह मेरी कल्पना थी, तो भी मुझे शांति चाहिए।”
नेहा के शब्दों ने अनुराग को झकझोर दिया। शायद नेहा ने जो देखा, वह किसी और के लिए भ्रम हो सकता था, लेकिन उसके लिए वह सच्चाई थी।
अनुराग ने केस बंद करने का फैसला किया। कारखाना अब खाली था, उसकी दीवारों में रहस्य गूंज रहे थे। नेहा की गवाही अधूरी रह गई, लेकिन उसकी कहानी एक सबक थी—कभी-कभी, सच्चाई देखने वाले भी उसे स्वीकार नहीं कर पाते।
Image Credit: leonardo.ai
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